कभी कभी हमारे आस पास रहने वाले लोगों की ज़िंदगी में कुछ ऐसी उलझनें - या पहेलियां - उठ खड़ी होती है, जिनको सुलझाते सुलझाते हमें खुद की ज़िंदगी सुलझती दिख जाती है। जवाब ना सही, पर जवाब की तरफ जाने वाला रास्ता नज़र आने लगता है। कुछ ऐसी ही बात होती है डिटेक्टिव हैरी... Continue Reading →